Arrangement of Natural treatment camps, seminars and conferences at various places across the country besides glorious performance at National level too.
गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति के तत्वावधान में श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक में प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर एवं ध्यान योग साधना शिविर का भव्य आयोजन
दिनांक 26 व 27 सितम्बर, 2025 (शुक्रवार व शनिवार) श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक, दिल्ली में श्री प्रणभ्य जी महाराज के आशीर्वाद एवं सहयोग से गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति, राजघाट, नई दिल्ली-110002 के कार्यकर्ताओं द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा,एक्यूप्रेशर एवं ध्यान योग साधना शिविर का भव्य आयोजन किया गया।
इस अवसर पर गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति की कार्यकर्ता श्रीमती बिमला राणा (कोमल) तथा समिति के विशेष सहयोगी प्राकृतिक चिकित्सक एवं एक्यूप्रेशर के विशेषज्ञ श्री हर्षदेव तोमर जी की देखरेख में शिविर पूर्ण उत्साह के साथ चलाया गया।
इस अवसर पर श्री हर्षदेव तोमर जी आगन्तु शिविरार्थियों को प्रकृति के साथ जुड़कर चलने की प्रेरणा देते हुए जहाँ प्राकृतिक चिकित्सा के सम्बन्ध में विशेष जानकारी दी तथा वहीं लोगों की समस्याओं के निदान हेतु एक्यूप्रेशर द्वारा भी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान कराया।
श्री हर्षदेव तोमर जी का सहयोग करते हुए समिति की कार्यकर्ता श्रीमती बिमला राणा ने भी लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के सम्बन्ध में विशेष जानकारी देते हुए बताया कि हमारे संस्थान का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा से जोड़ना है जिससे आप सभी प्राकृतिक चिकित्सा का शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त करके अपना स्वास्थ्य तथा अन्यों के स्वास्थ्य को ठीक करने में अपना-अपना सहयोग दे सकें। प्राकृतिक चिकित्सा एक जीवन जीने की कला है जिसे हमारे संस्थान द्वारा विधिवत रूप से सिखाया जाता है।
शिविर के दौरान दोनों दिन आगन्तुक महानुभावों को ‘नैसर्गिक जीवन’ मासिक पत्रिका तथा अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रचार सामग्री वितरित की गई।
लाल किले के पास श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक में लगा यह दो दिवसीय शिविर बहुत ही आकर्षक रहा। शिविर में लाभ प्राप्त करने वाले आगन्तुकों ने इसकी खूब सराहना की और प्राकृतिक चिकित्सा, योग एवं एक्यूप्रेशर के प्रति अपनी जिज्ञासा दिखाई।
शिविर के आयोजन के लिए अनुमति तथा व्यवस्था प्रदान करने के लिए श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक के महाराज श्री प्रणभ्य जी तथा आयोजकों के प्रति गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति द्वारा विशेष आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया गया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने वाले कार्यकर्ताओं एवं सहयोगियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए श्री हर्षदेव तोमर जी को शुभकामनाएं दी गई।


गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वच्छता अभियान पर संगोष्ठी सम्पन्न
गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति के अध्यक्ष डॉ. ए.के. अरुण का हुआ ओजस्वी उद्बोधन
गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति द्वारा दिनांक 25 सितम्बर,2025 (बृहस्पतिवार) को “प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वच्छता” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस संगोष्ठी में मार्गदर्शन हेतु गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति के अध्यक्ष डॉ. ए.के. अरुण को आमंत्रित किया गया था।निर्धारित समय पर डॉ. अरुण जी ने पधारकर प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वच्छता विषय पर विस्तृत जानकारी साझा की। इस अवसर पर उनके साथ गाँधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति की को-ऑर्डिनेटर श्रीमती निशा करगेती तथा सामाजिक कार्यकर्ता श्री घनश्याम मुरारी भी उपस्थित थे। संगोष्ठी में गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सभी कार्यकर्ता एवं प्रमुख अधिकारीगण शामिल हुए।
अपने ओजस्वी उद्बोधन में डॉ.अरुण जी ने कहा कि हमें यथासंभव अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति से बचने का प्रयास करना चाहिए तथा अपने जीवन को प्रकृति से जोड़कर स्वस्थ जीवन जीना चाहिए।उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आजकल दवाइयों के नाम पर भारी लूट मची हुई है।बच्चों के जन्म से पूर्व ही विभिन्न टीकों के भय से माता-पिता को आशंकित कर दिया जाता है और अधिकतर प्रसव ऑपरेशन द्वारा किए जाते हैं,ताकि अधिक से अधिक धन अर्जित किया जा सके।उन्होंने कहा कि आजकल अस्पतालो में यह एक तरह का “लूट का धंधा“बन गया है।
डॉ. अरुण जी ने स्पष्ट किया कि बुखार कोई रोग नहीं, बल्कि शरीर में बीमारी का एक संकेत मात्र है।यह अपने आप निश्चित समय में ठीक हो जाता है,बशर्ते हम आवश्यक सावधानियाँ बरतें।उन्होंने कहा कि हमारा देश ऋषि-मुनियों की परंपरा वाला देश है, जहाँ सदैव जड़ी-बूटियों और संतुलित खानपान के माध्यम से स्वास्थ्य की रक्षा की जाती रही है। परंतु आजकल लोग अपनी दिनचर्या को असंतुलित करके बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।यदि हम प्रकृति के नियमों का पालन करें तो हम कम से कम बीमार होंगे और यदि बीमार पड़ भी जाएँ तो प्राकृतिक उपचार से ही स्वास्थ्य लाभ हो सकता है।
डा. अरुण ने बताया कि हमारा शरीर पाँच तत्त्वों से बना है और जब भी शरीर में किसी तत्त्व की कमी हो जाती है, तो उसी तत्त्व की पूर्ति कर शरीर को पुनः स्वस्थ बनाया जा सकता है।डॉ. अरुण जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षी किसी अस्पताल पर निर्भर नहीं होते।बीमार होने पर वे स्वाभाविक रूप से कुछ दिन अपना भोजन त्यागकर स्वस्थ हो जाते हैं। इससे हमें सीख लेनी चाहिए और तली-भुनी वस्तुओं,पैक्ड फूड,एल्कोहल और अंग्रेजी दवाइयों आदि से बचकर प्राकृतिक खान-पान तथा दिनचर्या को अपनाना चाहिए।प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति जीवन जीने की कला है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे शीघ्र ही गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सहयोग से कई प्राकृतिक चिकित्सा शिविर लगाने का प्रयास करेंगे,ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस चिकित्सा पद्धति की जानकारी और लाभ मिल सके।
अंत में डॉ. अरुण जी ने आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया।